डी.वी. गुंडप्पा
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
[जन्म 1887 – निधन 1975]
गुंडप्पा को अपने कार्य क्षेत्र कर्नाटक से बाहर ज्यादा प्रसिद्धी नहीं मिल सकी। यहां उन्होंने राजनीतिक सुधार और सामाजिक जागृति के लिए 50 साल तक काम किया। उन्होंने इस कार्य को अपने लेखन के जरिये अंजाम दिया। इसमें गीत, कविताएं, नाटक, राजनीतिक पर्चे, जीवनियां और भगवतगीता पर टीका शामिल हैं। वे पूरी तरह से आदर्श लोकतंत्र के समर्थक थे और उन्होंने अनुशासन पर बहुत जोर भी दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुशासनहीनता लोकतंत्र की दुश्मन है। उन्हें कर्नाटक सरकार ने पेंशन देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने इसे यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि इससे जनता के बीच अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक रखने के उनके अधिकार पर अंकुश लग जाएगा।
साभार: इंडियन लिबरल ग्रुप