20 मार्च: विश्व गौरैया दिवस
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे...
मानव ने जैसे-जैसे विकास के नए आयाम स्थापित किए उसका यह विकास ब्रह्मांड के अन्य जीव-जंतुओं, पशु पक्षियों के लिए दुश्मन बन गया।
स्थिति भी इतनी विकराल बन चुकी है अब ना जाने कितनी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है। हम सभी ने अपने घरों के आंगन में, पेड़ों पर एक छोटी सी चिड़िया को चहकते जरूर देखा होगा जो अब हमें दिखाई नहीं देती। और यकीनन अब अगर हम नहीं चेते तो हमारी आने वाली नस्लों को यह किताबों और इंटरनेट पर ही दिखाई देगी। ऐसी ही एक चिड़िया है गौरैया।
गौरैया दिवस:
आज विश्व गौरैया दिवस है। प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। नन्ही चिड़िया गौरेया दुनिया के कई देशों में पाई जाती है।
हर साल ये दिवस विलुप्त की कगार पर आ गई गौरेया के प्रति लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिए उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है।
गौरैया के विलुप्त होने के कारण:
तेजी से बढ़ते प्रदूषण, बाज-चील, पतंगों से समेत अन्य कई कारणों से गौरेया की संख्या में बहुत कमी आई है। जिसकी वजह से अब नन्ही चिड़ियां का अस्तित्व खत्म होने की कगार है, जिसे हम सबको मिलकर बचाना है। गौरैया की लगातार घटती संख्या को लेकर एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए इंसान ही जिम्मेदार है।
मोबाइल रेडिएशन से गौरैया को खतरा:
गौरैया की घटती संख्या के पीछे जो कारण सामने आए हैं वो उनके रहवास की समस्या के साथ सबसे बड़ा कारण मोबाइल रेडिएशन हैं। शहरों में रहवास ना होने की वजह से गौरैया करंट या तीव्र ध्वनि की चपेट में आने से विलुप्त होती जा रही है। साथ ही मोबाइल रेडिएशन की वजह से मादा गौरैया की प्रजनन क्षमता भी खत्म हो जाती है।
कब हुई गौरैया दिवस की शुरुआत?
साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गया था। विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की शुरू की गई एक पहल है। सोसाइटी की शुरुआत फेमस पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्हें 2008 में टाइम मैगजीन ने "हीरोज ऑफ एनवायरमेंट" में शामिल किया गया था।
गौरैया के बारे में वैज्ञानिक जानकारी:
- छोटी चिड़िया गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस और सामान्य नाम हाउस स्पैरो है।
- गौरैया पासेराडेई परिवार की सदस्य है. लेकिन इसे वीवरपिंच का परिवार का भी सदस्य माना जाता है।
- इस चिड़िया की ऊंचाई 16 सेंटीमीटर और विंगस्पैन 21 सेंटीमीटर होते हैं। वहीं एक गौरैया का वजन 25 से 40 ग्राम होता है।
ऐसे जीती है गौरैया:
अपना जीवनयापन करने के लिए गौरैया अनाज और कीड़े खाती है। ये गौरेया शहरों की अपेक्षा गांवों में रहना ज्यादा पसंद है। शहर के प्रदूषण और शोर-शराबा गौरेया को रास नहीं आता है।
रसायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग भी गौरैया का दुश्मन:
खेती-किसानी में रसायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग बेजुबान पक्षियों और गौरैया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है. आहार भी जहरीले हो चले हैं। केमिलयुक्त रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से कीड़े मकोड़े भी विलुप्त हो चले हैं। जिससे गौरैयों भोजन का भी संकट खड़ा हो गया है। उर्वरकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी में पैदा होने वाले कीड़े-मकोड़े समाप्त हो चले हैं जिससे गौरैयों को भोजन नहीं मिल पाता है।
गौरैया सम्मान:
गौरेया दिवस के अवसर पर नन्ही चिड़िया गौरैया के संरक्षण के लिए काम कर रहे लोगों को गौरैया पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
घट रही है गौरैया की संख्या:
गौरैया की संख्या लगातार कम होती जा रही है. एस स्टडी के अनुसार इसकी संख्या में 60 फीसदी तक कमी आई है। विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवा और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसाइटी आफ प्रोटेक्शन आफ बर्डस‘ ने इस चुलबुली और चंचल पक्षी को ‘रेड लिस्ट‘ में डाल दिया है. दुनिया भर में ग्रामीण और शहरी इलाकों में गौरैया की आबादी घटी है।
विश्व गौरैया दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आइए इस दिवस पर हम सभी विलुप्त हो रहे प्रकृति के इस अनमोल उपहार को संरक्षित करने का संकल्प लें।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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