आदर्श आचार संहिता और चुनाव
किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में चुनावों की अहम भूमिका होती है क्योंकि लोकतंत्र में जनता को जनार्दन का दर्जा दिया गया है। लोकतंत्र की परिभाषा भी इसी को रेखांकित करती है लोकतंत्र जनता से जनता के लिए और जनता के द्वारा होता है। लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए चुनावों की अहम भूमिका होता है। चुनाव आयोजित करने का जिम्मा निर्वाचन आयोग के पास होता है इस दौरान चुनाव आयोग सरकार के प्रभाव से मुक्त होकर फैसले लेता है ताकि सत्ता और विपक्ष को जनता की अदालत में बराबर का मौका मिल सके। चुनावों के दौरान आचार संहिता तय होती है आइये जानते हैं क्या हो आचार संहिता और क्या हैं इसके नियम कायदे।
क्या है आदर्श आचार संहिता?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।
कब लागू होती है आचार संहिता?
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। देश में लोकसभा के चुनाव हर पांच साल पर होते हैं। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते रहते हैं। चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रमों का एलान करते ही आचार संहिता लागू हो जाती है।
आचार संहिता कब तक लगी रहेगी?
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।
आचार संहिता के क्या हैं नियम?
- सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा।
- सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी आवास का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
- किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा।
- किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
- किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।
- निर्वाचन के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो आयोग की पूर्व-अनुमति ली जाएगी।
- कोई भी केंद्रीय या राज्य सरकार का मंत्री कहीं भी किसी आधिकारिक चर्चा हेतु राज्य या निर्वाचन क्षेत्र के किसी निर्वाचन संबंधी अधिकारी को नहीं बुला सकता है।
- मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा।
- मंत्री या किसी अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता को निर्वाचन अवधि के दौरान निजी या आधिकारिक दौरे पर किसी पायलट कार या किसी रंग की बीकन लाइट अथवा किसी भी प्रकार के सायरन सहित कार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं होगी भले ही राज्य प्रशासन ने उसे सुरक्षा कवर दिया हो जिसमें ऐसे दौरों पर उसके साथ सशस्त्र अंगरक्षकों के उपस्थित रहने की आवश्यकता हो। यह निषेध सरकारी व निजी स्वामित्व वाले दोनों प्रकार के वाहनों पर लागू होगा।
- निर्वाचन अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी कोष की लागत पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क मीडिया के दुरूपयोग पर निषेध है।
- आपातकालिक स्थिति या अप्रत्याशित आपदाओं यथा सूखे, बाढ़, महामारी, अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने अथवा वृद्धजनों तथा निशक्त इत्यादि हेतु कल्याणकारी उपाय करने के लिए सरकार आयोग का पूर्व अनुमोदन ले सकती है।
- निर्वाचन प्रचार के दौरान कोई भी अभ्यर्थी या दल ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे मौजूदा मतभेद बढ़ जाए या जिनसे परस्पर द्वेष पैदा हो अथवा भिन्न-भिन्न जातियों और समुदायों, धर्मों या भाषा-भाषी लोगों में तनाव बढ़ जाए। इसके अतिरिक्त अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना करते समय यह केवल उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, पिछले रिकॉर्ड और कार्यों तक ही सीमित होनी चाहिए।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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