राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
5 ट्रिलियन भारतीय अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में सहायक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन:
केंद्र सरकार ने भारत को 5 ट्रीलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो सपना देखा है उसे ग्रामीण भारत की सहभागिता के बिना सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। ग्रामीण और शहरी विकास के बीच के अतंर को पाटने की जरूरत है। गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही गांवों में हो रहे कामों को आर्थिक रूप से ज्यादा मुनाफे वाला बनाना जरूरी है।गांवों में रोजगार देना सरकारों की योजनाओं का बड़ा हिस्सा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इसमें अहम भूमिका निभाता आ रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय का उददेश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये उनकी गरीबी दूर करना है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरुआत:
1999 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सबसे पहले स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना नाम में से एक योजना चलाई गई थी। इसका पुनर्गठन कर जून, 2011 में आजीविका-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरूआत की गई। वर्तमान में इसका नया नाम पंडित दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य:
केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को स्किल कराना, सक्षम बनाना एवं स्थानीय स्तर पर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश है। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लागू ग्रामीण महिलाओं के समूह बनाए गए हैं। इससे नारी सशक्तिकरण को काफी मजबूती मिली है एवं गांव की महिलाएं सशक्त हो रही है । ग्रामीण गरीब आबादी में इससे ज्ञान संसाधन कौशल एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता विकसित हुई है। आजीविका-एनआरएलएम का मुख्य उददेश्य गरीब ग्रामीणों को सक्षम और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान कर उनकी आजीविका में निरंतर वद्धि करना, वित्तीय सेवाओं तक उनकी बेहतर और सरल तरीके से पहुंच बनाना और उनकी पारिवारिक आय को बढ़ाना है। इसके लिए मंत्रालय को विश्व बैंक से आर्थिक सहायता भी मिलती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की संरचना:
आजीविका-एनआरएलएम ने स्व-सहायता समूहों तथा संघीय संस्थानों के माध्यम से देश के 600 जिलों, 6000 प्रखंडों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और छह लाख गांवों के 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों (बीपीएल) को दायरे में लाने का और 8 से 10 साल की अवधि में उन्हें आजीविका के लिए आवश्यक साधन जुटाने में सहयोग देने के संकल्प को पूरा करने में लगा हुआ है। ये संकल्प एक कार्यक्रम के माध्यम से पूरा होगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से सामाजिक बदलाव:
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण भारत में बड़े सामाजिक बदलाव का आधार बना है। जिसमें खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अक्षम, भूमिहीन, प्रवासी मजदूरों, अलग थलग पड़े समुदायों तथा अशांत क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों जैसे संवेदनशील वगोर्ं को शामिल करने पर विशेष जोर है। गरीब जनता को अपने अधिकारों और जनसेवाओं का लाभ उठाने में इस योजना से मदद मिल रही है। आजीविका-एनआरएलएम इस बात में विश्वास रखता है कि गरीबों की सहज क्षमताओं का सदुपयोग हो और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में उनका योगदान हो, जिसके लिए उनकी सूचना, ज्ञान, कौशल, संसाधन, वित्त तथा सामूहिकीकरण से जुड. क्षमताएं विकसित की जाएं। महिला समुहों को बढ़ावा मिलने से ग्रामीण भारत में बड़ा सामाजिक परिवर्तन आया है। जिससे अंत्योदय का सपना भी साकार हो रहा है।
सामाजिक समावेश और सार्वभौमिक सामाजिक एकजुटता:
आजीविका-एनआरएलएम यह सुनिशिचत करता है कि राज्य सभी की सहभागिता की पद्धति अपनाएं। जहां प्रत्येक निर्धारित ग्रामीण गरीब परिवार से कम से कम एक सदस्य, विशेषकर महिला को समयबद्ध तरीके से स्वसहायता समूह (एसएचजी) के तहत लाया गया है। मिशन कामकाजी रूप से प्रभावी और स्व...प्रबंधन वाले संस्थानों में सभी निर्धारित बीपीएल परिवारों के सामाजिक समावेश तथा एकजुटता के लिए विशेष रणनीति अपनाता है। सहभागिता के साथ संवेदनशीलता का आकलन करने वाली और गरीबी का स्तर पता लगाने वाली पद्धति के जरिए बीपीएल परिवारों में सबसे गरीब तथा सबसे कमजोर लोगों की पहचान की जाती है। निर्धारित परिवारों से महिला और पुरुषों दोनों को आजीविका के मुददों पर ध्यान देने के लिहाज से गरीब लोगों से जुड़े संगठनों, किसान संगठनों, उत्पादक सहकारी संस्थाएं से जोड़ा जाता है। इन लोगों को समुदाय के कुशल व्यकितयों (सीआरपी) के समर्थन वाले उच्चस्तरीय संस्थानों में भेजा जाता है जो समावेश तथा एकजुटता की प्रकि्रया सुनिशिचत करते है।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
Comments